क्या सचमुच साइरस मिस्त्री रतन टाटा के सपनों को पूरा करने में नाकाम रहे थे?

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टाटा ग्रुप वैश्विक कारोबारी समूह है. मिस्त्री को 2013 में इस ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया था. टाटा संस 100 से ज्यादा टाटा कम्पनियों की अम्ब्रेला कम्पनी है. उनका चयन आधे से ज्यादा दिग्गज हस्तियों के बीच में से किया गया था. इनमें रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा, वोडाफोन के पूर्व सीईओ अरुण सरीन, पेप्सिको की सीईओ इंदिरा नूई, सिटिग्रुप के सीईओ विक्रम पंडित समेत अन्य लोग शामिल थे.

उन्हें काम संभाले चार साल ही हुआ था मगर इस बीच ऐसा क्या हो गया जिसकी वजह से उन्हें अचानक बाहर करने के रूप में सामने आया.

टाटा ग्रुप प्रबंधन के कोई भी साफ़ संकेत नहीं मिलने पर सिर्फ़ यही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि मिस्त्री की अगुवाई में समूह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही होगी. आंकड़े भी कुछ-कुछ इसी तरफ़ इशारा करते हैं.

रिकॉर्ड के निशान

मिस्त्री को जब भारत के इस सबसे बड़े समूह की ज़िम्मेदारी दी गई तो कम्पनी अपने पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के नेतृत्व में लिए गए कुछ खराब फैसलों की वजह से अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही थी

उनमें से एक था यूरोपीय स्टील निर्माता कोरस का 12.1  बिलियन डॉलर में अधिग्रहण. यह सौदा उस समय तक किसी भी भारतीय कंपनी की तरफ़ से सबसे बड़ा सौदा था. इस कोरस कम्पनी के नाते ही टाटा स्टील के कारोबार में 2007-08 और 2014-15  के बीच 30 फीसदी की गिरावट देखी गई.

मिस्त्री अपना कामकाज संभालने के बाद से तीन साल तक यूरोप की कम्पनियों को चलाते रहे. लेकिन आख़िरकार उन्हें 2016 में यूरोप में घाटे में चल रहे इस्पात कारोबार की बिक्री की घोषणा करनी पड़ी. इसके अलावा मिस्त्री के नेतृत्व में टाटा डोकोमो  (कम्पनी के दूरंसचार क्षेत्र के संयुक्त उद्यम) जिसमें टाटा की 25.6 फीसदी हिस्सेदारी है, कम्पनी से अलग हो गई. टाटा समूह का डोकोमो के साथ एक कानूनी विवाद भी चल रहा है. डोकोमो ने 7,250  करोड़ रुपए की मांग की है…..read more

Source URL:-http://hindi.catchnews.com/india/cyrus-mistry-s-ouster-from-tata-sons-did-he-really-fail-to-fill-ratan-tata-s-shoes-1477366857.html

 

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