धर्मांतरण का मुद्दा अचानक चर्चा में आने पर राज्य की एक वरिष्ठ नौकरशाह वंदना डालेल ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाया है. मगर जवाब मिलने की बजाय सरकार ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है. 24 अक्टूबर को जारी नोटिस में अफ़सर से पूछा गया है कि सरकार को उनपर कार्रवाई क्यों नहीं करनी चाहिए.
1996 बैच की आईएएस अफ़सर वंदना डालेल पंचायती राज सचिव हैं. उन्होंने 20 अक्टूबर की रात 11:15 बजे फेसबुक पर सवाल किया था, ‘जब एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान आदिवासियों के धर्म के बारे में सवाल किया जाता है तो दिमाग में एक सवाल उठता है. क्या जनजातीय समुदाय के लोगों को अपनी पसंद के अनुसार किसी धर्म को चुनने का अधिकार नहीं है? अचानक क्यों लोगों ने जनजातीय समुदाय के लोगों के धर्म के बारे में सोचना शुरू कर दिया है?’
झारखंड में बार-बार सरकार और कई हिंदूवादी संगठन बयान के ज़रिए आदिवासियों तक यह संदेश पहुंचा रहे हैं कि लालच देकर उनका धर्मांतरण करवाया जा रहा है. विदेशी ताक़तों के इशारे पर उनकी परंपरा और संस्कृति तबाह की जा रही है.
यह संयोग है कि जब वंदना डालेल ने फेसबुक पर सवाल किया तो ठीक 7 मिनट बाद 11:22 बजे मुख्यमंत्री के फेसबुक हैंडल से एक पोस्ट जारी हुई. यहां रघुबार दास ने लिखा, ‘झारखंड में कोई भी हमारे भोले-भाले आदिवासियों को भय या लालच दिखाकर उनकी परंपरा व संस्कृति से छेड़छाड़ करेगा, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. आदिवासियों की परंपरा-संस्कृति पर हमला करनेवाले सावधान हो जायें. संस्कृति को नष्ट करने के इस प्रयास को हम सफल होने नहीं देंगे’.
मुख्यमंत्री की इस पोस्ट से पता चलता है कि वह झारखंड में कथित धर्मांतरण का मुद्दा किस दिशा में आगे बढ़ रहा है. इसके ठीक एक दिन पहले भी रघुबर दास ने फेसबुक पर लिखा, ‘ब्रिटिश काल से ही छोटानागपुर की संस्कृति-परंपरा को छिन्न-भिन्न करने के लिए विदेशी शक्तियां लगी हुई हैं. हमें उन्हें पहचान कर हमें मिलकर मुकाबला करना है. सरना समाज के युवाओं को संस्कृति-परंपरा बचाने की जिम्मेदारी उठानी होगी. इस काम में सरकार साथ है’. …read more